CBDT ने कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स किया नोटिफाई, 363 है इस बार का आंकड़ा, ITR भरते वक्त पड़ती है इसकी जरूरत!
वित्त मंत्रालय की तरफ से वित्त वर्ष 2025 के लिए फाइनल कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) नोटिफाई कर दिया गया है. साल 2024-25 यानी असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स 363 है.
वित्त मंत्रालय की तरफ से वित्त वर्ष 2025 के लिए फाइनल कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) नोटिफाई कर दिया गया है. साल 2024-25 यानी असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स 363 है. मंत्रालय ने CBDT के जरिए 24 मई 2024 को नोटिफिकेशन नंबर 44/2024 के तहत नोटिफिकेशन जारी किया है.
यह नोटिफिकेशन आयकर अधिनियम एक्ट 1961 के सेक्शन 48 के स्पष्टीकरण के खंड (V) की तरफ से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए बनाया गया है. साथ ही इसे 5 जून, 2017 को जारी पिछले नोटिफिकेशन में कुछ संशोधन के साथ पेश किया गया है. यह नोटिफिकेशन 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा और असेसमेंट ईयर 2025-26 पर लागू होगा. बता दें कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स 348 था.
CBDT notifies the Cost Inflation Index (CII) for FY 2024-2025 vide Notification No. 44/2024 dated 24th May, 2024.
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) May 25, 2024
The Cost Inflation Index for FY 2024-25 relevant to AY 2025-26 & subsequent years is 363. pic.twitter.com/Fo9y47C15H
किस काम आता है CII?
कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स किसी अचल संपत्ति को बेचने से हुए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन के कैल्कुलेशन में बहुत काम आता है. साथ ही सिक्योरिटी और ज्वैलरी आदि को बेचने से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में भी यह काम आता है. आईटीआर फाइल करते वक्त इसकी जरूरत पड़ती है.
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
इंट्राडे में तुरंत खरीद लें ये स्टॉक्स! कमाई के लिए एक्सपर्ट ने चुने बढ़िया और दमदार शेयर, जानें टारगेट और Stop Loss
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
यह इनफ्लेशन को ध्यान में रखते हुए असेट्स की खरीद कीमत को एडजस्ट करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि करदाताओं पर सामान्य मूल्य वृद्धि से बढ़े हुए नाममात्र लाभ के बजाय उनके वास्तविक लाभ पर टैक्स लगाया जाए.
यह मैकेनिज्म आयकर अधिनियम, 1961 के तहत आता है. यह समय के साथ पैसे के मूल्य पर मुद्रास्फीति के घटते प्रभाव को पहचानकर कर प्रणाली में समानता बनाए रखने में मदद करता है. इंडेक्सेशन की मदद से, कोई व्यक्ति अपने दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को कम करने में सक्षम होता है, जिससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है.
01:27 PM IST